
औरंगाबाद , (रिर्पोटर) : बिहार सरकार के पूर्व मंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ
सुरेश पासवान ने औरंगाबाद में भीषण गर्मी एवं लू की चपेट में आने से कुछ
ही घंटों में लगभग चालीस लोगों के मौत पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा
है कि बिहार सरकार और जिला प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन बिल्कुल ही निकम्मा
साबित हो चुकी है।मौत का तांडव लगातार जारी है और सदर अस्पताल औरंगाबाद का
प्रबंधन एक डाक्टर के भरोसे आम दिनों की तरह भगवान भरोसे खानापूर्ति में
लगी हुई है। सबसे आश्चर्यजनक स्थिती तो यह है कि जहां एसी स्थिति में
चिकित्सकों का विशेष दल चौबीसों घण्टे बचाव के लिए तैनात रहना चाहिए वहां
एकाध डाक्टर के भरोसे सैकड़ों हिटवेभ के चपेट में आने वाले मरीजों के उपचार
बिल्कुल नाकाफी है।
डॉ पासवान ने कहा है कि लगभग दो करोड़ के लागत से बने आईसीयू अभी तक चालू
क्यों नहीं किया गया, वार्ड में पंखा, एसी,कुलर का न के बराबर होना अस्पताल
प्रबंधन का तो पोल खोल करके ही रख देता है।हीटवेभ से निपटने के लिए अविलंब
राज्य मुख्यालय से चिकित्सकों का विशेष कार्यबल को मंगाना चाहिए ताकि
यूधस्तर पर उपचार, बचाव कर लोगों को जान बचाया जा सके।
डॉ पासवान ने कहा है कि जब जिला प्रशासन और मौसम विभाग की ओर से भीषण गर्मी
बढ़ने का सार्वजनिक सुचना जारी किया जाता है तो अस्पताल प्रबंधन क्यों
नहीं हीटवेभ से निपटने के लिए अपने अधिनस्थ अस्पतालों को एडभाईजरी जारी
करता है।
बिहार सरकार के मुख्यमंत्री जी के द्वारा क्यों नहीं मुज्जफरपुर या
औरंगाबाद जैसी घटनाओं को स्थाई रोकथाम के लिए परमानेंट रोड मैप तैयार करते
हैं चूंकि यह तो हर साल होने वाली घटनाएं हैं। इसलिए परिवार के आश्रितों को
चार लाख रुपए मुआवजा देने से सरकार की जबाबदेहि खत्म नहीं हो जाती हैं
बल्कि स्वास्थ बिभाग के ध्वस्त सिस्टम को ठीक करने की जरूरत है।एक ही जगह
पर वर्षों वर्षों से पदस्थापित डाक्टर जो है उन्हें अभियान चलाकर दुसरे
प्रमंडल में पोस्टिंग किया जाए चूंकि वे अस्पताल कम और अपने किलिनीक पर ही
ज्यादा ध्यान देते है।
अस्पताल के अंदर इमरजेंसी मेडीसन भी उपलब्ध नहीं रहने से मरीजों को बाहर
से दवा लाते लाते हालत बहुत गंभीर हो जाता है इसलिए सरकार कमसे कम इमरजेंसी
दवा की भी तो इंतजाम करें।
मैं डबल इंजन के बिहार सरकार से यह मांग करता हूं कि राजस्तरीय एक उच्च
स्तरीय समिति बनाकर लू की चपेट में आने वाले मरीजों की मौत किनके लापरवाही
से हुई है इसकी जबाबदेहि निर्धारित करते हुए सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही
मरने वाले परिवारों के आश्रितों को दस-दस लाख रुपए मुआवजा एवं एक एक परिवार
को मानवीय आधार पर सरकारी नौकरी दिया जाए तथा अस्पताल प्रबंधन आपातकाल की
तरह चौबीसों घण्टे ऐसी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें।
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