
पटना, (रिर्पोटर) : दुनिया भर में गठिया के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए आयोजित वल्र्ड ऑर्थराइटिस डे 12 अक्टूबर के मौके पर पारस एचएमआरआई हास्पीटल पटना के ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डा. निशिकांत ने कहा कि देश में करीब 15 मिलियन ऑर्थराइटिस के मरीज हैं जिसमें डेढ़ लाख मरीजों को घुटना प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है। गठिया मौजूदा समय में इस कदर बढ़ गया है कि भारत सरकार ने इसे नेशनल हेल्थ स्कीम में शामिल कर घुटना प्रत्यारोपण के मरीजों के लिए काफी रियायत पर इम्पलांट उपलब्ध कराया है। प्रारंभ में गठिया के मरीजों को रेगुलर एक्सरसाइज और प्रोपर डाइट का ध्यान रखना चाहिए और जब घुटना प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प बचे, ऐसे में एक्सपर्ट डाक्टर और बेस्ट हास्पीटल में ही ऑपरेशन कराना चाहि, ताकि इम्पलांट की क्वालिटी सही मिले और पोस्ट आपरेटिव इंफेक्शन की आशंका नहीं हो।
डा. निशिकान्त ने बताया कि आपरेशन के बाद मरीजों को अच्छे फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह से चलना चाहिए ताकि घुटना कितना मोड़ें और उठने बैठने का सही पोश्चर मालूम रहे। उन्होंने कहा कि यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है खासकर बुजुर्गों को। करीब 200 प्रकार के ऑर्थराइटिस की पहचान की जा चुकी है और इसकी संख्या बढ़ते जा रही है। इसमें सबसे आम ओस्टियो ऑर्थराइटिस है जो कि उम्र बढऩे के साथ ज्वायंट के घिसने और टूटने से जुड़ा है और दुसरा रूमेट्वाइड ऑर्थराइटिस जो इम्यून मेडियेटेड इंफलेमेशन है।
अधिकतर ऑर्थराइटिस की स्थिति वंशाानुगत है हालांकि इस स्थिति से बचने के लिए स्वस्थ जीवन शैली जैसे वजन कम रखना, नियमित शारीरिक व्यायाम और चोट से बचाव शामिल है। शरीर का अधिक वजन ऑर्थराइटिस के अधिकतर मामले में प्रमुख कारण है चुंकि भारी शरीर घुटने के जोड़ पर काफी दबाब डालता है जिससे वे जल्दी घिस जाते हैं। इसीलिए मोटे लोगों को जल्दी ही घुटने की ऑर्थराइटिस हो जाती है। शारीरिक क्रिया कलाप में कमी ऑर्थराइटिस का दूसरा प्रमुख कारण है। बुढ़ापे में लोगों को प्रभावित करने वाले सबसे आम स्वास्थ्य परेशानी, ऑर्थराइटिस एक ऐसी स्थिति है जो उनकी गतिशीलता को कम कर सामान्य जिंदगी के कामकाज को प्रभावित करता है। हालांकि ऑर्थराइटिस को उम्र बढऩे की सामान्य प्रक्रिया नहीं समझना चाहि, बल्कि स्वस्थ जीवन शैली अपना कर इससे बचा जा सकता है।
वल्र्ड ऑर्थराइटिस डे के मौके पर पारस एचएमआरआई हास्पीटल पटना के ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ निशिकांत ने कहा कि इससे बचाव के लिए जागरूकता जरूरी है। साथ ही इसके इलाज प्रक्रिया को लोगों को बताकर इससे प्रभावित होने वाले मरीजों को मदद की जा सकती है। ऑर्थराइटिस मरीज दो स्थितियों से गुजरते हैं। घुटनों में दर्द और गतिशीलता में कमी। इससे वे सामान्य रूप से घरेलू काम काज और टहलने तक में कठिनाई महसूस करते हैं। ऑर्थराइटिस का निश्चित इलाज नहीं है फिर भी कई मेडिकल इन्टरभेन्शन से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। ट्रीटमेन्ट का मुख्य लक्ष्य दर्द को घटाना और ज्वायंट को और अधिक क्षति से बचाना है। अत्यधिक ज्वायंट डेमेज होने की स्थिति में ज्वायंट रिप्लेसमेन्ट एकमात्र उपाय है।
ऑर्थराइटिस को सही तरीके से प्रबंधन करना है। ऑर्थराइटिस फं्रेडली लाइफ स्टाइल का मतलब वेट कंट्रोल, हेल्दी डायट, डेली एक्सरसाइज और नी सपोर्ट और हिट थेरेपी के मदद से दर्द कम करना है। एक्सरे, सीटी और एमआरआई स्केन से ऑर्थराइटिस का सही कारण पता चल जाता है। ऑर्थराइटिस के इलाज में जीवन शैली में सुधार जैसे टहलना, सही स्थिति में उठना-बैठना और रिलेक्सेसन टेकनिक है।
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